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बिहार महागठबंधन में सीट बंटवारे पर खींचतान, कांग्रेस और वीआईपी में उपमुख्यमंत्री पद को लेकर रस्साकशी

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पटना। बिहार की राजनीति में इस वक्त सबसे बड़ी सुर्खी है — महागठबंधन के भीतर सीटों और कुर्सियों का समीकरण।
बात सिर्फ सीटों तक सीमित नहीं है, अब चर्चा कौन उपमुख्यमंत्री बनेगा तक पहुंच गई है।

महागठबंधन में मुख्यमंत्री के चेहरे को लेकर कोई विवाद नहीं है।
125 से ज्यादा सीटों पर चुनाव लड़ने वाली आरजेडी का नेतृत्व तेजस्वी यादव ही करेंगे — इस पर सभी दलों की सहमति है।
लेकिन अब वीआईपी पार्टी के नेता मुकेश सहनी और कांग्रेस दोनों उपमुख्यमंत्री पद की मांग को लेकर अड़ गए हैं।


⚖️ वीआईपी पार्टी और कांग्रेस — दोनों की नजर उपमुख्यमंत्री की कुर्सी पर

सूत्रों के मुताबिक, वीआईपी नेता मुकेश सहनी चाहते हैं कि तेजस्वी यादव के साथ-साथ उन्हें भी उपमुख्यमंत्री पद की घोषणा दी जाए।
दूसरी तरफ, कांग्रेस को लगता है कि अगर उनसे कम सीटों पर लड़ने वाली वीआईपी पार्टी उपमुख्यमंत्री पद मांग सकती है, तो उन्हें भी यह हक है।

कांग्रेस चाहती है कि उसके प्रदेश अध्यक्ष राजेश राम को उपमुख्यमंत्री बनाया जाए।
कांग्रेस के नेताओं का तर्क है कि पार्टी महागठबंधन की दूसरी सबसे बड़ी पार्टी है और उसे भी सत्ता में बराबर की हिस्सेदारी मिलनी चाहिए।


🗳️ कांग्रेस की रणनीति और जातीय संतुलन

कांग्रेस इस बार 70 नहीं, बल्कि 55 से 62 सीटों पर चुनाव लड़ने को तैयार है — लेकिन इसके बदले में वह प्रभावशाली सीटें और सत्ता में हिस्सेदारी चाहती है।
पार्टी का मानना है कि बिहार में जातीय और धार्मिक संतुलन जरूरी है, इसलिए कांग्रेस एक दलित और एक मुस्लिम चेहरा भी उपमुख्यमंत्री के तौर पर लाना चाहती है।

राहुल गांधी की ‘भारत जोड़ो न्याय यात्रा’ के दौरान भी उन्होंने तेजस्वी यादव, माले के दीपांकर भट्टाचार्य, और कांग्रेस अध्यक्ष राजेश राम को एक ही मंच पर रखकर एकता का संदेश देने की कोशिश की थी।

हालांकि, कांग्रेस के पास अभी कोई मजबूत मुस्लिम चेहरा नहीं है, यही वजह है कि वह चाहती है कि आरजेडी किसी मुस्लिम नेता को तीसरे उपमुख्यमंत्री के तौर पर सामने लाए।


🤝 तेजस्वी यादव के सामने नई चुनौती

अब सारा दारोमदार तेजस्वी यादव पर है।
उन्हें यह तय करना होगा कि कैसे सभी घटक दलों — आरजेडी, कांग्रेस, माले और वीआईपी — के बीच तालमेल बैठाकर महागठबंधन को एकजुट रख सकें।

राजनीतिक विश्लेषकों का कहना है कि यह बिहार चुनाव की सबसे अहम कड़ी होगी
अगर तेजस्वी सबको साथ लेकर चलने में सफल रहते हैं, तो एनडीए के लिए मुकाबला कठिन हो जाएगा।

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