चंडीगढ़: हरियाणा के वरिष्ठ IPS अधिकारी वाई. पूरन कुमार की आत्महत्या ने पूरे देश में समुद्र खड़ा कर दिया है। इस मामले की गंभीरता को देखते हुए अब पंजाब राज्य अनुसूचित जाति आयोग (Punjab SC Commission) ने मोर्चा संभाला है और हरियाणा DGP को तलब किया है ताकि मामले की तह तक जाकर सच्चाई सामने आए।
📌 मामला कैसे सामने आया?
पूवरन कुमार ने चंडीगढ़ स्थित निवास स्थान पर कथित रूप से आत्महत्या कर ली, और घटना की जानकारी जैसे ही मीडिया में आयी, विवादों का ताना-बाना तेजी से फैल गया।
उनके आत्महत्या-पत्र (suicide note) में उन्होंने उच्च अधिकारियों पर लंबे समय से मानसिक उत्पीड़न और जातिवाद आधारित भेदभाव के आरोप लगाए। उन्होंने कई नामों का उल्लेख किया, जिनमें कुछ वर्तमान और पूर्व वरिष्ठ अधिकारी शामिल थे।
इस बीच, पुलिस ने उनकी मौत को आत्महत्या माना है और मामला दर्ज किया है। इस FIR में DGP शत्रुजीत सिंह कपूर समेत अन्य वरिष्ठ अधिकारियों पर सुसाइड को उकसाने का आरोप लगाया गया है।
🏛 पंजाब SC आयोग की भूमिका और कार्रवाई
जब मीडिया में यह घटना प्रमुखता से आई, पंजाब अनुसूचित जाति आयोग ने स्वतः संज्ञान लिया और तुरंत कार्रवाई की। आयोग ने चंडीगढ़ DGP को रिपोर्ट देने का आदेश दिया है।
आयोग अध्यक्ष Jasvir Singh Garhi ने कहा कि उन्हें मीडिया रिपोर्ट्स से यह मामला ज्ञात हुआ, और उन्होंने इस विषय को गंभीरता से लेते हुए त्वरित कदम उठाए हैं।
इसके अलावा, आयोग ने हरियाणा के मुख्य सचिव को एक Action Taken Report (ATR) प्रस्तुत करने का निर्देश दिया है, जिसमें FIR, आरोपियों के नाम, जांच की स्थिति, और यदि लागू हो तो मुआवजे की जानकारी हो।
यदि यह ATR समय पर नहीं दी जाती है, तो आयोग स्वयं मुख्य सचिव या उनके प्रतिनिधियों को तलब कर सकती है।
📌 राजनीति, दबाव और प्रतिक्रियाएँ
इस पूरे घटनाक्रम ने राजनीतिक हलकों में हलचल मचा दी है। पंजाब सरकार और अन्य दलों ने आरोप लगाया है कि यह घटना जातिवाद से प्रेरित उत्पीड़न का संकेत हो सकती है।
हरियाणा के मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी ने कहा है कि “कोई भी अपराधी, चाहे पद कितना ही ऊँचा क्यों न हो, बख्शा नहीं जाएगा।”
परिवार ने आरोप लगाया है कि FIR में आवश्यक नामों का उल्लेख नहीं किया गया और SC/ST अधिनियम (PoA Act) की धारा को कमजोर किया गया। वे सुसाइड नोट को सार्वजनिक करने की भी मांग कर रहे हैं।



